यदि अभी पास दस मिनट है तभी आप इस आर्टिकल को पढ़िए | इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपके पैरोतले की जमीन खिसक जाएगी |इस आर्टिकल में में आपको बताऊंगा की
*लोग दिन प्रति दिन क्रूर क्यों हो रहे है ? *क्यों महिलाओं पर अत्याचार क्यों बढ़ रहे है ? *महिलाओं में सिजर का प्रमाण क्यों बढ़ गया ? *पश्चिम के देश (US UK ) पे हम भरोसा कर सकते है ? *५० साल पहले के लोग पैसा कम होने के बावजूद सुखी कैसे थे ? *दुनिया का अंत क्यों पास है ? *बंधन क्या है ? *धर्म और ध्यान कैसे समस्या का हल है ? _________________________________________________________________________________________ सौ बिलियन भूचर जानवर हर साल काटे जाते है और नब्बे बिलियन जानवर प्रयोग के लिए इस्तेमाल किये जाते है | जानवर पिंजरे में कैद किये जा रहे है | पिछले कुछ बिस तिस साल में मतलब १९९० के बाद मास की खपत दस गुना हो गयी है| और एक नया तरीका आ गया है उसे कहते है फैक्ट्री फार्मिंग | फैक्ट्री फार्मिंग मतलब जानवर को मशीन की तरह इस्तेमाल करना | जैसे गाय भेस कुछ दशक पहले घूम फिर के घास चरती थी | बाद में उसे बांधने लगे अभी उनको बड़े बड़े बिल्डिंग के फ्लोर्स पे बाँधा जाता है | जहा पे वह ठीक से न उठ पाते है और न बैठ पाते है | और मालिक को बस उसका दूध चाहिए | और जब वो दूध नहीं दे सकती तब उसको कतल खाने बेचा जाता है | उसके ही चमड़ी से बना लेदर शूज पर्स बहुत शान से ब्रांडेड कहते है | यह बात सिर्फ शहर की नहीं है गांव में जब एक गाय या भैस बूढी हो जाती है तब उसको रोड पे छोड़ दिया जाता है | मछलियोकि की हमे कुछ कदर ही नहीं है | हम उनको टन में गिनते है | राजधानी दिल्ली में जो भी मछलियोंकी बिक्री होती है उनमे ज्यादातर मछलिया यूपी में मल मूत्र की गड्ढे पे पाली जाती है | और मछलिया ना मरे इसिलए उनमे एंटी बायोटिक डाला जाता है | आपने सुना ही होगा की मेडिकल छात्रोने एक छोटे से कुत्ते के बच्चे को मजाक मजाक में बिल्डिंग के ऊपर से फेंक दिया | क्या हमारा स्तर इतना निचे गिर गया है ? ऊपर मैंने आपको कुछ उदाहरण दिए है | इसमें हमे समज आ जाता है की हम लोग दिन प्रति दिन विकृत हो रहे है | हम लोग इतने भोगी हो चुके है की हम एक जानवर को पैदा होने से मरने तक उसका भोग करते है | हम भूल जाते है की यह दुनिया सिर्फ मनुष्य के लिए ही नहीं इन छोटे छोटे मूक जनवारोंकी की भी है | उनका भी इस दुनिया पर हमारे मानव इतना ही हक़ है | अभी हम लोग हर तरीके से जानवरोंका भोग कर रहे है | इस लेख में में आपको यही बताउगा की लोग दिन प्रति दिन क्रूर क्यों हो रहे है ? क्यों महिलाओं पर अत्याचार क्यों बढ़ रहे है ? एकाएक महिलाओं के सिजर का प्रमाण क्यों बढ़ गया ? आज कल के बच्चे मास क्यों ज्यादा खा रहे है ? और इनके जवाब आपके होश उदा देंगे | और आखिर में आपको एक रास्ता भी बताऊंगा जिस पर चल कर हम समस्या हल कर सकते है | हम लोक इतने घटिया लोग है की क्या बताऊ | हम छुट्टी के दिन नदी, जंगल में घूमने जाते है जो पंछी जनवरोंका घर है लेकिन वही पंछी आपकी बालकनी में आ जाता है तब आप बालकनी में जाली लगाते है | आप जहा पे रहते हो वह किस ज़माने में यही जानवर रहते है | हमने उनका घर छीन कर अपना घर बनाया है और हम लोग उस जानवर को मार के खा जाते है | उसके घर जाके उस जानवर को मार के वो घर अपना बताना | आपको नहीं लगता की ये विकृति है | पिछले पांच हजार साल से भारत में दलित और स्त्रियों ने बहुत दुःख भोगा है | पता है क्यों ? क्योंकि वे दोनों कमजोर थे | और आप थोड़ी भूतकाल में देखे तो आपको पता चलता है की हमेशा बलवान ने कमजोर का भोग किया है | और आप तो ये बात मानेंगे की जो भी बलवान लोगो ने स्त्री और दलितोपे अत्याचार किया था वो पूरी तरह खण्डनीय है | उसका समर्थन कोई नहीं कर सकता | अब मुझे बताईये एक जानवर छोटा है , बोल नहीं सकता , रो नहीं सकता , बल भी हम से थोड़ा कम ही होता है | और हम लोग जो सोच और समज सकते है, बलवान और बुद्धि से शक्तिशाली है | हम मूक जनवरोके साथ सब कुछ सही कर रहे है जो बलवानो ने दलित और स्त्रीयो के साथ किया था , शोषण और भोग | मुझे तो दोनों में कुछ भी अन्तर नहीं लगता | कुछ दशक पहले लोग बोला करते थे की पहली रोटी गौमाता को और आखिर की घर के श्वान को | पर अभी पूरा बदल गया है हम लोग और भी क्रूर और राक्षस बनाते जा रहे है | जब आप कोई होटल में मास का आर्डर देते हो याद रखना आप एक माँ का बच्चा मारने की सुपारी दे रहे है| बाद में जब मास बनाकर आपके प्लेट में परोस दिया जाता है तब वो उस माँ के दर्द और खून के आंसू है | मैं आपको एक मनुष्य क्रूरता का उदाहरण देता हु | दिल्ली में गाजीपुर मुर्गा मंडी करके एक जगह है वहा पे मास की की खपत इतनी है की होटल वालोको मुर्गी काटने का वक्त भी नहीं मिलता है | वो लोग मुर्गे का सर दिवार पटकते है और बाद में पैर से कोंध दिए जाते है | और हमारे जैसे लोग इसे देखते भी है और वह मास भी खाते है | यह अराजकता की पराकाष्टा है | हम ने अपनी ख़ुशी के लिए कुत्ता घर में पाला है | खेलने की लिए बिल्ली चाहिए | मजे के लिए चिड़िया पिंजरे में है | घर में पैसा आने की लिए कछुआ और फिश टैंक है | क्या आपको पता है जब किसी भी गाय या भेस को नर बछड़ा पैदा होता है तब उसको कतल खाने बेच दिया जाता है | पता है क्यों ? क्योकि उसका लेदर बहुत महंगा होता है| और जो बड़े बड़े ब्रांड है वे इससे हमारे लिए प्रॉडक्ट बनाते है | और यदि वो मादा बछड़ा पैदा हो गया तो फिर कुछ महीनो के बाद उसे जल्दी बच्चे पैदा करने के लिए इंजेक्शन दिए जाते है | क्योंकि जल्दी से जल्दी हम उसे भोग पाए | अब आप सोच रहे होंगे की यदि नर बछड़ा माँ के पास नहीं होता है तब वो दूध कैसे देती है ? इसका भी हमारे पास इलाज है | डॉक्टर लोग ऑक्सीटोसिन नमक इंजेक्शन का उपयोग करते है उससे जानवर अपना दूध रोक नहीं सकता | और यही केमिकल दूध द्वारा हमारे शरीर तक पहुंच जाता है | महिलाओंको इससे बहुत धोका होता है | यही असली कारण है जो आजकल की महिलाये नार्मल डिलीवरी नहीं कर पाती है | आप ही देखिये आप के आस पास कितनी नार्मल डिलीवरी हुई है और कितनी सिजर | भारत में आज १० में से ७ की सिजर होती है | बड़े बड़े डेअरी फार्म में यही चल रहा है बच्चा गाय भेस का बच्चा मारो बेचो और बाद में इंजेक्शन इस्तेमाल से दूध निकालो | बहुत सारे मेडिकल साइंस के रिसर्च पेपर बताते है की बीफ खाने से कैंसर की संभावना बढ़ जाती है | दूध पिने से डायबेटीस हो सकता है | और भी बहुत कुछ | मानव एकदम इतना क्रूर क्यों हो गया ? इससे पहले यह मानव या मनुष्य कोण है पता है ? ये स्त्री है पुरुष है | मानव में हु आप हो | आपके माता पिता, बहन ,भाई ,दोस्त, सहकारी ये सब लोक मानव है | मानव की क्रूरता ,अप्रेम और निर्दयता पीछे कुछ प्रमुख कारण है एक है १९९१ का ग्लोबलाइजेशन ,टीवी ऐड, सही धर्म का अभाव. समज लेते है एक एक. सच बोलू तो ग्लोबलाइजेशन और टीवी ऐड एकहि सिक्केके दो बाजु है | १९९१ बाद ग्लोबलाइजेशन के वजह से बहुत सारी बड़ी कम्पनिया भारत में सक्रीय हो गयी | और कम्पनियोंका काम क्या है सिर्फ पैसा कमाना | इनके पास माल तो बहुत है लेकिन खरीददार नहीं है | तो ये कम्पनिया बड़े बड़े यूनिवर्सिटी जाके टैलेंट को काम रखती है | और बहुत बड़ी बड़ी सैलरी दी जाती है | और इन लोगो का काम होता है की खरीददार बढ़ाना है | ये लोग इतने होशयार होते है की माल बेचने के लिए वे आपको नहीं आपके मन को टारगेट करते है | उनको पता है एक बार मन को माल बेचा तो ये अपने आप पैसा दे देगा | जैसे यदि आप खबसूरत नहीं हो तो आप जिंदगी नहीं जी सकते तो ख़रीदे हमारी फेयर क्रीम | आईपीएल के नाम पे हजारो जुआ की ऍप आ गयी है और इनमे बहुत सारी हमारे टॉप खिलाडी बताते है की इसे इस्तेमाल करो और आमिर हो जाओ | ये बताते है की आपके पास पैसा नहीं है तो आप जीने के लायक नहीं है | आपका कद ,वजन, रंग ,बाल, दिमाख , सरकारी नौकरी , परदेश भ्रमण , आपका पति या पत्नी, आपके घर और उसका का इंटीरियर , आपकी गाड़ी, कपडे ,जूते, फ़ोन, लैपटॉप और भी अनगिनत चीजे जो सोशल मीडिया ने आपको बताया है की ये आपके पास नहीं है तो आप इंसान ही नहीं हो | आपको में ये बताना चाहता हु की अभी एक नया क्षेत्र भी आया है उसका नाम है डाटा साइंस (DATA SCIENCE). इस क्षेत्र में ग्राहक की मन का अध्ययन किया जाता है | और कंपनी का बताया जाता है की लोगो के मन को कैसे इस्तमाल करके माल बेचना है | जब हमारा मन एक चीज को देख लेता है तब उसको पाने के लिए प्रयास करता है | और हम लोग मन की बात सुनकर और पैसा कमाने लगते है | दिन रात मेहनत करके वो चीज ख़रीदतते है जो कंपनी ने हमारे मन में बैठाई थी | देखो पैसा कमाना बुरा नहीं है पर कारण बड़ा और श्रेष्ठ होना चाहिए | मुझे लगता है की लोग खुद के लिए नहीं बल्कि कंपनी के लिए पैसा कमाते है | अभी आप सोच रहे होंगे इसमें और मास में क्या रिश्ता है ? आपने टीवी पे लिसियस चिकन का तो ऐड देखा ही होगा | क्या दिखाते है उसमे एक स्वच्छ सुन्दर चमकदार चिकन लेग पीस . और ये कंपनी वाले उसके पीछे क्रूर हत्या को छिपा देते है | यदि वही जानवर आपके सामने काटा जाये तो वो क्रूरता और उस जानवर की जीने की तड़प देखकर शायद ही आप उसका मास खा पाए | कंपनी आपकी सोचने की ताकत की छीन ली है | पहले ही हम पैसा कमाने में इतना बिजी है की किसीने टिफिन में मास दे दिया तो हम दो सेकंड के लिए सोचते भी नहीं है की ये में क्या खा रहा हु ? इस भूक के लिए में एक जिव को मार रहा हु | पर नहीं हम इतने बिजी है की जो सामने आया उसे खा जाते है | आप ने सुना होगा की ४० या ५० साल पहले हमारे पूर्वज बहुत आराम से रहते थे | उनके पास खुद के लिए बहुत वक्त होता था | आराम से सूर्यास्त के वक्त बाते करते थे खुद के बारे में सोचते थे | इसी कारण वश तो जिंदगी में गलतिया कम होती थी | इसीलिए कम पैसा होनेके बावजूद वे सुखी थे | और सुखी लोक ही आध्यात्मिक होते है | जब हमारे पास ज्यादा जरूरते नहीं होती तब भागना काम पड़ता है | तो आप अपने जीवन को देखने का समय मिलता है| अपने जीवन को शांतिपूर्वक देखना इसेही सनातन धर्म में ध्यान कहा गया है | मास खाने के लिए हम बहुत सरे तर्क देते है | पहला तर्क होता है की जैसे हम मास नहीं खाएंगे तो जानवर की उनकी आबादी बढ़ जाएगी | इन लोगो ये नहीं पता है की आप जो पशु पक्षी खाते हो | वे नैसर्गिक जन्म नहीं लेते | उनको फैक्ट्री में जन्म दिया जाता है | आप खा रहे है तो कंपनी पशु पक्षी को जन्म दे रहे है | जैसेही आप खाना बंद कर देंगे तो कंपनी भी पशु पक्षी पैदा नहीं करेंगे | दूसरा तर्क है की पशु पक्षी अंडे नहीं खाएंगे तो प्रोटीन कहा से मिलेगा ? भारत में बहुत सरे धान ऐसे है की उसमे पशु पक्षी अंडे से भी ज्यादा प्रोटीन है | ये तर्क UK और US आया है | अब अमेरिका हमें बताएगा की क्या खाना है ? US में भारत से १० गुना ज्यादा मास की खपत होती है | और में आपको बताता हु की US में सबसे ज्यादा रेप होते है | क्या हमे आंख बंद करके भरोसा रखना चाहिए ? बहुत सारे लोग कहते की आप भी पेड़ पौधे को मारकर खाते हो और हम मुर्गी को क्या फरक पड़ता है ? आप भी मार ही रहे हो न | जब आपके लिए पेड़ और मुर्गी एक सामान है तो आपके लिए मुर्गी और मानव भी एक सामान ही होगा | आप अपने आजुबाजु के मानव का मास खाइये क्या फरफ पड़ता है ? नहीं खा सकते न क्यों की सभी जीवो में चेतना एक जैसी नहीं होती | विज्ञानं ने यह साबित किया है की पेड़ पौधों को बहुत कम वेदना होती है | और बाकि जिव को एक समान. बाद में आप ये पूछोगे की जानवर हो या पौधा मर तो जाता है ना ? हम यहाँपे देख रहे है की हिंसा कम से कम हो | जानवर काटने पे ज्यादा हिंसा होती है क्योंकि जानवर की समजने की ताकद ज्यादा है | पेड पौधा खाने से भी हिंसा होती है पर थोड़ी कम होती है | अपना जीवन जीना , खाना , पीना ,रहना ऐसा होकि कम से कम हिंसा हो | अभी समय आ गया है की हम सुब लोक कुछ ठोस कदम ले | हमें पता होना चाहिए की ये दुनिया बस मानव की नहीं है | बल्कि ये दुनिया पशु पक्षी क्योंकि की भी है | हमे लोगो को प्रेरित करना चाहिए की कम से कम हम इस दुनिया को हानि पोहचाये | अभी भी आपको मजाक लग रहा है तो एक बार कतल खाने भेट जरूर दे | और ये भी मुमकिन नहीं है तो Eathlings Documentary या Glass Wall Documentary जरूर देखे | शायद आपकी बाकि शंकाओँका समाधान हो | अभी अपने पूरा पढ़ लिया | आपको पता है की आप जानवर मारकर खा रहे हो वो गलत है | पर क्या करे मन नहीं मान रहा है | जुबा पे वो स्वाद आ जाता है | मुझे पता है की आपको पूरा पता होने के बावजूद आप मास खाना छोड़ नहीं सकते क्योकि मन आपका नहीं सुनेगा | आप उसके गुलाम हो | इसी को ही हमारे सनातन धर्म में ' बंधन ' कहा जाता है | आप को सुन के हैरानी होगी की जितना पिछले दस हजार साल में मानव ने इस दुनिया भोग नहीं किया था उतना हमने सिर्फ पचास साल में कर दिया | दुनिया की हर चीज़ को हमने जी भरके भोगा है | और अब परिस्थति ऐसी है की आगे के पचास साल भी हम ठीक से जी पाए बहुत बड़ी बात है | जैसे कोरोना , तापमान की बढ़त , बाढ़ और बहुत कुछ | अब धरती माँ थक चुकी है | श्रीमत भगवत गीता में बताया गया है की आप मन नहीं हो ना आप ये शरीर हो | मन को काबू करना बहुत कठिन काम है | तो मन कोई चीज़ मांगता है तब एक क्षण थमकर विवेक से सोचो और फिर ही कोई कार्य करना | थमना सीखो | सभी पशु पक्षी को हमारे इतने ही दर्द होता है यह जान लो | मन विद्रोह करेगा | मन को नहीं बोलना सीखो |
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AuthorPankaj Salunkhe. Read these articles
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